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कविता

पहेली

हरिओम राजोरिया


आप कुछ नहीं करते फिर भी धन्ना सेठ हैं
कितना कम खाते हैं पर कितना बड़ा पेट है
आप मानते हैं
दान करने से धन नहीं घटता
यहाँ भी अकेले की मजदूरी से
परिवार का पेट नहीं भरता
लीला में रामलला की आरती उतारते हैं आप
अस्पताल में रोगियों को फल बाँटते हैं आप
जगह-जगह करते फिरते हैं वृक्षारोपण
बूचड़खानों के खिलाफ मंच से करते हैं भाषण
रक्तदान और नेत्रशिविर लगबाते हैं
गर्मियों में चलित प्याऊ चलवाते हैं
दान-पट्टिका पर आपका नाम खुदता है
चौकी का दरोगा आपके नाम से दहलता है
देखने में आप कितने भले हैं
आपके घर में पाँच-पाँच कुत्ते पले हैं

चौराहों-चौराहों पर आपके झंडे-डंडे टँगे हैं
पताकाओं-तस्वीरों में आप हाथ जोड़े खड़े हैं
कितना झुकते हैं कितना ज्यादा मुस्कुराते हैं
जनतंत्र की रेवड़ियाँ चाव से खाते हैं
न कहीं पाप है न कहीं कोई घड़ा है
एक चुप के पीछे दूसरा चुप खड़ा है
फिर जो जग में दुष्ट दलन करते हैं
आप नित्य प्रातः उनका भजन करते हैं


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